जूनून के बाब में अब के ये रैगनी हो
मैं होऊं और मेरा होना एक कहानी हो
ये इश्क़ रहबर-ए-मंज़िल-इ-क़यामत है
वो आए साथ जिसे ज़िन्दगी गंवानी हो
कुछ इस लिए भी तेरी आरज़ू नहीं है मुझे
मैं चाहता हूँ मेरा इश्क़ जावेदानी हो
मेरे बदन पे तो अब गार्ड भी नहीं बाक़ी
उसे है ज़िद की मेरा यार आसमानी हो
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