Mahwar Sirsivi

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@Mahwar_Sirsivi

Mahwar Sirsivi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Mahwar Sirsivi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
न कोई इश्क़ रहा और न मोहब्बत है तुम्हें
साफ़ ज़ाहिर है कि अब मुझ से अदावत है तुम्हें

मसअला हल नहीं होगा कभी ख़ामोशी से
लब को जुम्बिश दो अगर कोई शिकायत है तुम्हें

मैं तुम्हें छोड़ के जाऊँ ये नहीं हो सकता
तुम मुझे छोड़ना चाहो तो इजाज़त है तुम्हें

तुम किसी एक के रहते नहीं सिक्के की तरह
वक़्त के साथ बदल जाने की आदत है तुम्हें

खेलते रहते हो मासूम दिलों से अक्सर
खेलना दिल से कोई शौक़ नहीं लत है तुम्हें

ज़िंदगी रंग से बे-रंग नज़र आएगी
तितलियाँ क़ैद न करना ये नसीहत है तुम्हें

मय हुई ख़त्म तो साक़ी ने कहा हज़रत-ए-क़ैस
अश्क पी लीजिए गर प्यास की शिद्दत है तुम्हें

मेरी तन्हाई मुझे देख के फ़रमाती है
मेरे होते हुए और किस की ज़रूरत है तुम्हें

मेरे ज़ख़्मों पे नमक डालने वाले महवर
पूछते हैं कोई दर-पेश मुसीबत है तुम्हें
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Mahwar Sirsivi
टूटा जो फूल शाख़ से ताज़ा नहीं हुआ
मरने के बाद में कोई ज़िंदा नहीं हुआ

तन्हाइयों की धूप ने झुलसा दिया बदन
हम पर किसी की ज़ुल्फ़ का साया नहीं हुआ

उस्ताद बन गया है वो शतरंज का मगर
हुश्यार फिर भी हमसे ज़ियादा नहीं हुआ

इतना बुलंद हो गया मजबूरियों का क़द
दोनों तरफ से एक भी शिकवा नहीं हुआ

बे-पर्दगी उरूज की जानिब है गाम-ज़न
पर्दे का नाम हो गया पर्दा नहीं हुआ

मुद्दत हुई के दर्द की लज़्ज़त न कम हुई
पीता रहा शराब मैं नश्शा नहीं हुआ

अब तक हमारे पाँव में ठोकर नहीं लगी
अब तक हमारे साथ में धोका नहीं हुआ

आशिक़ की बद-दुआ का असर देख लीजिए
उस बे-वफ़ा का आज भी रिश्ता नहीं हुआ

ग़ैरों से क्या उमीद रखी जाएगी भला
हम से हमारे दर्द पे गिर्या नहीं हुआ

किस दर्जा ख़ुश-मिज़ाज हैं हम हम से पूछिए
अपने ही क़ातिलों पा भी हमला नहीं हुआ

जितनी हमारे दिल ने तबाही मचाई है
इतना तो उसकी ज़ात से ख़तरा नहीं हुआ

हम मुस्तक़िल-मिज़ाज सवाली हैं इस लिए
ख़ाली हमारी फ़िक्र का कासा नहीं हुआ

तुम क्या किसी को इश्क़ के मआ'नी बताओगे
गोया तुम्हारा सर सर-ए-नेज़ा नहीं हुआ

इतना उलझ गया है मेरे शे'र में वो शख़्स
इतना के उससे ठीक से चर्बा नहीं हुआ

बढ़ कर उदासियों को गले से लगा लिया
महवर शब-ए-फ़िराक़ पे ग़ुस्सा नहीं हुआ
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