Akbar Masoom

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@akbar-masoom

Akbar Masoom shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Akbar Masoom's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
न अपना नाम न चेहरा बदल के आया हूँ
कि अब की बार मैं रस्ता बदल के आया हूँ

वो और होंगे जो कार-ए-हवस पे ज़िंदा हैं
मैं उस की धूप से साया बदल के आया हूँ

ज़रा भी फ़र्क़ न पड़ता मकाँ बदलने से
वो बाम-ओ-दर वो दरीचा बदल के आया हूँ

मुझे ख़बर है कि दुनिया बदल नहीं सकती
इसी लिए तो मैं चश्मा बदल के आया हूँ

वही सुलूक वही भीक चाहता हूँ मैं
वही फ़क़ीर हूँ कासा बदल के आया हूँ

मुझे बताओ कोई काम फिर से करने का
मैं अपना ख़ून पसीना बदल के आया हूँ

मैं हो गया हूँ किसी नींद का शिराकत-दार
मैं इक हसीन का तकिया बदल के आया हूँ

सुनो कि जोंक लगाई है मैं ने पत्थर में
मैं इक निगाह का शीशा बदल के आया हूँ

मिरा तरीक़ा मिरा खेल ही निराला है
न मैं ज़बान न लहजा बदल के आया हूँ

वही असीर हूँ और है मिरी वही औक़ात
मैं इस जहान में पिंजरा बदल के आया हूँ
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Akbar Masoom
ये सारे फूल ये पत्थर उसी से मिलते हैं
तो ऐ अज़ीज़ हम अक्सर उसी से मिलते हैं

ख़ुदा गवाह कि उन में वही हलाकत है
ये तेग़-ओ-तीर ये ख़ंजर उसी से मिलते हैं

वो एक बार नहीं है हज़ार बार है वो
सो हम उसी से बिछड़ कर उसी से मिलते हैं

बिछा हुआ है वो गोया बिसात की सूरत
ये सब सफ़ेद-ओ-सियह घर उसी से मिलते हैं

ये धूप छाँव ये आब-ए-रवाँ ये अब्र ये फूल
ये आसमाँ ये कबूतर उसी से मिलते हैं

ये ख़ास साज़-ए-अज़ल से वो दाज्ला-ए-आहंग
ये नील-ओ-ज़मज़म-ओ-कौसर उसी से मिलते हैं

ये मोतिया ये चमेली ये मोगरा ये गुलाब
ये सारे गहने ये ज़ेवर उसी से मिलते हैं

अक़ीक़ गौहर-ओ-अल्मास नीलम-ओ-याक़ूत
ये सब नगीने ये कंकर उसी से मिलते हैं
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