D. Raj Kanwal

D. Raj Kanwal

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D. Raj Kanwal shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in D. Raj Kanwal's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
दुनिया पत्थर फेंक रही है झुँझला कर फ़र्ज़ानों पर
अब वो क्या इल्ज़ाम धरेगी हम जैसे दीवानों पर

दिल की कलियाँ अफ़्सुर्दा सी हर चेहरा मायूस मगर
बाग़ महकते देख रहा हूँ घाटों पर शमशानों पर

पत्थर दिल हैं लोग यहाँ के ये पत्थर क्या पिघलेंगे
किस ने बारिश होते देखी तपते रेगिस्तानों पर

जिन की एक नज़र के बदले हम ने दुनिया ठुकरा दी
नाम हमारा सुन कर रक्खें हाथ वो अपने कानों पर

आहें आँसू पेश किए तो घबरा के मुँह फेर लिया
उन को शायद ग़ुस्सा आया मेरे इन नज़रानों पर

क्या तक़दीर का शिकवा यारो अपनी अपनी क़िस्मत है
अपना हाथ गया है अक्सर टूटे से पैमानों पर

आज 'कँवल' हम कुछ भी कह लें बात मगर ये सच्ची है
आज का इक इक पल भारी है पिछले कई ज़बानों पर
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D. Raj Kanwal
किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा
मुझे ग़ैरों ने क्या समझा मुझे अपनों ने क्या समझा

ग़म-ए-पैहम हुई साबित जिसे मैं ने बक़ा समझा
हयात-ए-जाविदाँ निकली जिसे मैं ने क़ज़ा समझा

ग़लत समझा ज़माने में तुझे दर्द-आश्ना समझा
मिरी नज़रों का धोका था मैं पत्थर को ख़ुदा समझा

वफ़ा की राह में खाए हैं ऐसे भी कभी धोके
वो ज़ालिम इब्तिदा निकली जिसे मैं इंतिहा समझा

उसे दिल का जुनूँ कहिए कि मेरी सादगी कहिए
मैं हर इक रहगुज़र को आज उस का नक़्श-ए-पा समझा

बहुत मुमकिन था मौजों से मिरी कश्ती निकल आती
मगर वो राहज़न निकला जिसे मैं नाख़ुदा समझा

रह-ए-उल्फ़त में ऐसे भी 'कँवल' अक्सर मक़ाम आए
जहाँ हर दिल की धड़कन को मैं अपनी ही सदा समझा
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