Hadi Machlishahri

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@hadi-machlishahri

Hadi Machlishahri shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Hadi Machlishahri's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तू न हो हम-नफ़स अगर जीने का लुत्फ़ ही नहीं
जिस में न तू शरीक हो मौत है ज़िंदगी नहीं

इशरत-ए-दीद है यही अपना भी कुछ रहे न होश
जल्वा ब-क़ैद-ए-ताब-ए-दीद अस्ल में जल्वा ही नहीं

अव्वल-ए-इश्क़ ही में क्या दिल का मआल देखना
ये तो है इब्तिदा-ए-सोज़ आग अभी लगी नहीं

इश्क़ है कैफ़-ए-बे-ख़ुदी इस को ख़ुदी से क्या ग़रज़
जिस की फ़ज़ा हो वस्ल ओ हिज्र इश्क़ वो इश्क़ ही नहीं

ये भी न हो ख़बर कि सर सज्दे में है झुका हुआ
जिस में हो बंदगी का होश वो कोई बंदगी नहीं

किस का सर-ए-नियाज़ था पा-ए-अयाज़ पर झुका
माना-ए-बंदगी-ए-शौक़ सतवत-ए-ख़ुसरवी नहीं

कर न सुकून-ए-दिल का ग़म हादी-ए-मुब्तला ज़रा
इश्क़ की बारगाह में दर्द की कुछ कमी नहीं
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Hadi Machlishahri
हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं
मआल-ए-शौक़ हूँ आईना-ए-वफ़ा हूँ मैं

कहाँ ये वुसअत-ए-जल्वा कहाँ ये दीदा-ए-तंग
कभी तुझे कभी अपने को देखता हूँ मैं

शहीद-ए-इश्क़ के जल्वे की इंतिहा ही नहीं
हज़ार रंग से आलम में रू-नुमा हूँ मैं

मिरा वजूद हक़ीक़त मिरा अदम धोका
फ़ना की शक्ल में सर-चश्मा-ए-बक़ा हूँ मैं

है तेरी आँख में पिन्हाँ मिरा वजूद ओ अदम
निगाह फेर ले फिर देख क्या से क्या हूँ मैं

मिरा वजूद भी था कोई चीज़ क्या मालूम
इस ए'तिबार से पहले ही मिट चुका हूँ मैं

शुमार किस में करूँ निस्बत-ए-हक़ीक़ी को
ख़ुदा नहीं हूँ मगर मज़हर-ए-ख़ुदा हूँ मैं

मिरा निशाँ निगह-ए-हक़-नगर पे है मौक़ूफ़
न ख़ुद-शनास हूँ 'हादी' न ख़ुद-नुमा हूँ मैं
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