Hadis Salsal

Hadis Salsal

@hadis-salsal

Hadis Salsal shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Hadis Salsal's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ख़्वाहिश-ए-मेवा-ए-तर हो ये ज़रूरी तो नहीं
हर कोई ख़ुल्द-बदर हो ये ज़रूरी तो नहीं

तेशा-ए-ग़म को सनम-साज़ी-ए-हस्ती से ग़रज़
संग वाबस्ता-ए-दर हो ये ज़रूरी तो नहीं

मैं हूँ आलूदा ब-ख़ून-ए-जिगर-ओ-ख़ाक-ए-जहाँ
वो तिरी राहगुज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं

कुछ जमाल-ए-कम-ओ-कज-बीनी-ए-ख़ुश-चश्म भी है
सब तिरा हुस्न-ए-नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं

ऐ हुनर-मंद-ए-जराहत तलब-ए-ख़ामा तुझे
दावा-ए-ज़ख़्म-ए-हुनर हो ये ज़रूरी तो नहीं

रांदा-ए-हल्क़ा-ए-आग़ोश पस अंदेश-ए-जमाल
तेरा मंज़ूर-ए-नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं

लफ़्ज़-ए-सिर में मिरे एराब तराज़-ए-मुख़्लिस
ज़ेर की जा पे ज़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं

ये भी मलज़ूम नहीं तो हो गिरफ़्तार-ए-ख़िरद
मुझ को भी अपनी ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं

बाद-ए-तक़रीब-ए-तमन्नाई-ए-नज़्जारा-ए-तूर
ताक़त-ओ-ताब‌‌‌-ए-नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं

आलम-ए-बे-ख़ुदी-ए-इशरत-ए-बे-ग़ायत है
रूह मसरूर मगर हो ये ज़रूरी तो नहीं

है मय-ए-शौक़ में आमेज़िश-ए-तलख़ाब-ए-गुमाँ
फिर भी तख़फ़ीफ़-ए-असर हो ये ज़रूरी तो नहीं

दिल ब-अफ़्ज़ाइश-ए-ख़ुद्दारी-ए-आहंग-ए-सुख़न
ख़ाएफ़-ए-अहल-ए-नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं

पीरी-ए-इश्क़ से हूँ सेहत-ए-मा'शूक़-शिकार
दिल तवाना-ए-जिगर हो ये ज़रूरी तो नहीं

सूरत-ए-क़ुर्ब-ए-मुसलसल भी निकल सकती है
बाम पर उम्र बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं

बस कि इक वसवसा-ए-बर्ग-ए-ख़िज़ाँ-दीदा है
ख़ुल्द-ए-इम्काँ में शजर हो ये ये ज़रूरी तो नहीं

इंहिसार-ए-ग़म-ए-हस्ती ब-ग़म-ए-मर्ग-ए-हवस
'हादिस'-ए-ख़ाक-बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं
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सर-ए-निगाह बिसात-ए-जहाँ तो कुछ भी नहीं
जहान-ए-ख़ुद-निगर-ओ-कज-गुमाँ तो कुछ भी नहीं

दरूद बर-सर-ए-कर्ब-ए-तग़य्युर-ए-मौसम
ग़म-ए-सियासत-ए-अहल-ए-जहाँ तो कुछ भी नहीं

तमाम अस्ल-ए-सुख़न दाद-ए-ख़ालिक़-ए-ख़ामा
कमाल-ए-मुबतदी-ए-नीम-जाँ तो कुछ भी नहीं

तमाम हुस्न-ए-सुख़न ख़ूबी-हा-ए-नुक्ता-वराँ
जमाल-ए-दीदा-ए-गिर्या-कुनाँ तो कुछ भी नहीं

ब-पेश-ए-जुरअत-ए-तर्क-ए-उमीद-ए-यास फ़ज़ा
बिसात-ए-आलम-ए-उम्मीद-ए-आँ तो कुछ भी नहीं

उम्मीद-वार रुख़-ए-दीदा-बख़्श-ए-आईना-हा
क़रीब-ओ-दूर निगह जुज़ गुमाँ तो कुछ भी नहीं

सुकूत-ए-अर्ज़-ओ-समा पर्दा-हा-ए-शोरिश-ए-दिल
खुला कि ग़लग़ला-ए-अल-अमाँ तो कुछ भी नहीं

सर-ए-बसीत-ए-जमाल-ए-मुजस्सम-ए-इज्माल
तहय्युर-ए-निगह-ए-आशिक़ाँ तो कुछ भी नहीं

सुकून-ए-ख़्वाब-ए-फ़िज़ा, रंज-ए-राएगान-ए-उम्र
ज़यान-ए-बाइस-ए-सदहा ज़ियाँ तो कुछ भी नहीं

शुऊर-ए-चश्म-ओ-दिल-ओ-जाँ निसारी-ए-आशिक़
अगर है ख़ालिक़-ए-नाम-ओ-निशाँ तो कुछ भी नहीं

सफ़ीर-ए-ख़ुश-ख़बर-ए-कू-ए-यार-ए-ना-मौजूद
नहीं वजूद-ए-फ़रेब-ए-गुमाँ तो कुछ भी नहीं

ख़मोशी-ए-रह-ए-पुर-सम्त-ए-यक मुसाफ़िर-ए-जू
नहीं है नाला-ए-पा-बस्तगाँ तो कुछ भी नहीं

सलाह-ए-ख़ुश-गुज़राँ क़ातिल-ए-तमन्ना है
मगर वक़ार-ए-तमन्ना यहाँ तो कुछ भी नहीं
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