Raaz Allahabadi

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Raaz Allahabadi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Raaz Allahabadi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ये अता भी है साक़ी वाह क्या निराली है
एक जाम छलका है एक जाम ख़ाली है

ज़ख़्म पत्ता पत्ता है दर्द डाली डाली है
ऐ मिरे चमन आख़िर कौन तेरा माली है

फिर तिरे हसीं वा'दे याद आ गए शायद
मैं ने आरज़ूओं की भीड़ फिर लगा ली है

क्या मिरी वफ़ाओं का अब लहू नहीं मिलता
तुम ने अपने हाथों में क्यूँ हिना लगा ली है

ऐ मिरी ग़ज़ल तेरे नाज़ कौन उठाएगा
अब न कोई 'ग़ालिब' है अब न कोई 'हाली' है

हर्फ़ हर्फ़ हीरा है लफ़्ज़ लफ़्ज़ मोती है
इन हसीन लोगों की बात ही निराली है

पाक-बाज़ रिंदों को और हम कहाँ ढूँढें
मस्जिदें भी सूनी हैं मय-कदा भी ख़ाली है

'राज़' ये ग़ज़ल अपनी इक हसीं का सदक़ा है
शे'र भी अनोखे हैं हैं तर्ज़ भी निराली है
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Raaz Allahabadi
आशियाँ जल गया, गुल्सिताँ लुट गया, हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे
इतने मानूस सय्याद से हो गए, अब रिहाई मिलेगी तो मर जाएँगे

और कुछ दिन ये दस्तूर-ए-मय-ख़ाना है, तिश्ना-कामी के ये दिन गुज़र जाएँगे
मेरे साक़ी को नज़रें उठाने तो दो, जितने ख़ाली हैं सब जाम भर जाएँगे

ऐ नसीम-ए-सहर तुझ को उन की क़सम, उन से जा कर न कहना मिरा हाल-ए-ग़म
अपने मिटने का ग़म तो नहीं है मगर, डर ये है उन के गेसू बिखर जाएँगे

अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर किधर जाएँ हम, आँसुओं की यहाँ कोई क़ीमत नहीं
आप ही अपना दामन बढ़ा दीजिए, वर्ना मोती ज़मीं पर बिखर जाएँगे

काले काले वो गेसू शिकन-दर-शिकन, वो तबस्सुम का आलम चमन-दर-चमन
खींच ली उन की तस्वीर दिल ने मिरे, अब वो दामन बचा कर किधर जाएँगे
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