Rafia Shabnam Abidi

Rafia Shabnam Abidi

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Rafia Shabnam Abidi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rafia Shabnam Abidi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
जिस की ख़ातिर उम्र गँवाई इक दुनिया को भूली मैं
जी कहता था उस से कह दूँ लेकिन कैसे कहती मैं

मेरी ज़ात का जिस की नज़र से इतना गहरा रिश्ता है
उस की आँख समुंदर जैसी हरी-भरी इक धरती है

बंद किवाड़ों पर इक जानी पहचानी दस्तक जो सुनी
यूँही डूपट्टा छोड़ के भागी नंगे पाँव ही पगली मैं

किस का चेहरा देख लिया था सोते सोते बचपन में
ख़्वाबों की ख़ुश-रंग नदी में बरसों डूबी उभरी में

सब से बड़ा ये जुर्म था मेरा इसी लिए बदनाम हुई
सारी दुनिया जहाँ गिरी थी उसी मोड़ पर संभली मैं

ये भी सच है ऐसे कब तक मिल-जुल कर चल सकते थे
कुछ तो वो भी था हरजाई थोड़ी सी थी ज़िद्दी मैं

यूँही शायद जाते जाते उस ने इधर भी देखा हो
जाड़ों का मौसम था लेकिन सर से पा तक भीगी मैं

मेरे लिए तो जीने का ये एक सहारा काफ़ी है
कोई चाहे कुछ भी कह ले तेरी नज़र में अच्छी मैं

मेरी मजबूरी ने 'शबनम' जिस को बद-ज़न कर डाला
उस की क़सम थी जान से प्यारी झूटी कैसे खाती मैं
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Rafia Shabnam Abidi
ना-रसाई का चलो जश्न मनाएँ हम लोग
शायद इस तरह से कुछ खोएँ तो पाएँ हम लोग

रेत ही रेत अगर अपना मुक़द्दर ठहरा
क्यूँकि फिर एक घरौंदा ही बनाएँ हम लोग

जिस्म की क़ैद कोई क़ैद नहीं होती है
आओ सब झूटी हदें तोड़ के जाएँ हम लोग

इस बदलते हुए मौसम का भरोसा भी नहीं
गीली मिट्टी पे कोई नक़्श सजाएँ हम लोग

रोक पाएँगे न लम्हात के मौसम हम को
एक दीवार ज़माना तो हवाएँ हम लोग

अपने जज़्बात के पाकीज़ा तहफ़्फ़ुज़ के लिए
कभी मल्बूस कभी गर्म रिदाएँ हम लोग

कोई सूरज न किसी रात के दामन में गिरा
माँगते ही रहे सदियों से दुआएँ हम लोग

चाँद उतरा नहीं अब तक भी ज़मीं पर 'शबनम'
एक मुद्दत हुई देते हैं सदाएँ हम लोग
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Rafia Shabnam Abidi