Rafeeq Jabir

Rafeeq Jabir

@rafeeq-jabir

Rafeeq Jabir shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rafeeq Jabir's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
हिज्र इनआम-ए-वफ़ा हो जैसे
जुर्म-ए-उल्फ़त की सज़ा हो जैसे

दाग़-ए-दिल आज भी लौ देता है
तेरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा हो जैसे

रहरव-ए-राह-ए-वफ़ा से पूछो
हर-नफ़स कर्ब-ओ-बला हो जैसे

दिल में ये जोश-ए-तरब तो देखो
दर्द भी कोई दवा हो जैसे

यूँ हर इक ख़त को तका करता हूँ
मेरे ही नाम लिखा हो जैसे

ग़ौर से अहल-ए-क़फ़स हाँ सुनना
जरस-ए-गुल की सदा हो जैसे

एक ताइर नज़र आया है अभी
हुदहुद-ए-शहर-ए-सबा हो जैसे

तेशा-ज़न कोई निहाँ था मुझ में
वो भी अब मर सा गया हो जैसे

मेरे अशआ'र वो यूँ पढ़ता है
आइना देख रहा हो जैसे

यूँ हवा चीख़ रही है बन में
दिल उसे ढूँड रहा हो जैसे

ये तिरा 'जाबिर'-ए-शीरीं-गुफ़्तार
ख़ुसरव-ए-शहर-ए-नवा हो जैसे
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Rafeeq Jabir
पहले जो था वही है हाल मियाँ
इश्क़ को है कहाँ ज़वाल मियाँ

एक दिल ही नहीं बहुत कुछ है
जिस के लुटने का है मलाल मियाँ

रज़्म-गाह-ए-हयात में क्या क्या
काम आई है ग़म की ढाल मियाँ

आदमी वक़्त की जबीं पर है
आज सब से बड़ा सवाल मियाँ

दिल हलाक-ए-ग़म-ए-ज़माना हुआ
पड़ गया आइने में बाल मियाँ

क़ैस-ओ-फ़रहाद से न दो तश्बीह
आप अपनी हूँ मैं मिसाल मियाँ

इक यही रौश्नी-ए-तब्अ' तो है
मेरी पूँजी मिरी मनाल मियाँ

इस ग़म-ए-ज़ीस्त के तलातुम में
क्या फ़िराक़ और क्या विसाल मियाँ

कब हुआ हम से बे-कुलाहों का
कज-कुलाहों से इत्तिसाल मियाँ

हम क़लंदर हैं हम से मत उलझो
आ गया गर कहीं जलाल मियाँ

सच है 'जाबिर' का दम ग़नीमत है
अब कहाँ ऐसे ख़ुश-मक़ाल मियाँ
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Rafeeq Jabir