Ezaz Ahmad Azar

Ezaz Ahmad Azar

@ezaz-ahmad-azar

Ezaz Ahmad Azar shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ezaz Ahmad Azar's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
दरख़्त-ए-जाँ पर अज़ाब-रुत थी न बर्ग जागे न फूल आए
बहार-वादी से जितने पंछी इधर को आए मलूल आए

नशात-ए-मंज़िल नहीं तो उन को कोई सा अज्र-ए-सफ़र ही दे दो
वो रह-नवर्द-ए-रह-ए-जुनूँ जो पहन के राहों की धूल आए

वो सारी ख़ुशियाँ जो उस ने चाहीं उठा के झोली में अपनी रख लीं
हमारे हिस्से में उज़्र आए जवाज़ आए उसूल आए

अब ऐसे क़िस्से से फ़ाएदा क्या कि कौन कितना वफ़ा-निगर था
जब उस की महफ़िल से आ गए और सारी बातें ही भूल आए

वफ़ा की नगरी लुटी तो उस के असासों का भी हिसाब ठहरा
किसी के हिस्से में ज़ख़्म आए किसी के हिस्से में फूल आए

ब-नाम-ए-फ़स्ल-ए-बहार 'आज़र' वो ज़र्द पत्ते ही मो'तबर थे
जो हँस के रिज़्क़-ए-ख़िज़ाँ हुए हैं जो सब्ज़ शाख़ों पे झूल आए
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Ezaz Ahmad Azar
तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना
मिरे अँधेरों की फ़िक्र छोड़ो बस अपने घर का ख़याल रखना

उजाड़ मौसम में रेत-धरती पे फ़स्ल बोई थी चाँदनी की
अब उस में उगने लगे अँधेरे तो कैसा जी में मलाल रखना

दयार-ए-उल्फ़त में अजनबी को सफ़र है दर-पेश ज़ुल्मतों का
कहीं वो राहों में खो न जाए ज़रा दरीचा उजाल रखना

बिछड़ने वाले ने वक़्त-ए-रुख़्सत कुछ इस नज़र से पलट के देखा
कि जैसे वो भी ये कह रहा हो तुम अपने घर का ख़याल रखना

ये धूप छाँव का खेल है या ख़िज़ाँ बहारों की घात में है
नसीब सुब्ह-ए-उरूज हो तो नज़र में शाम-ए-ज़वाल रखना

किसे ख़बर है कि कब ये मौसम उड़ा के रख देगा ख़ाक 'आज़र'
तुम एहतियातन ज़मीं के सर पर फ़लक की चादर ही डाल रखना
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