ख़्वाब करते रहे दग़ा मुझ से
मुख़्तलिफ़ सच सभी जुदा मुझ से
महफ़िलों ने दिया है हम को क्या
तुम मिले हो मैं हूँ मिला मुझ से
तू न फ़ुर्क़त की भी इजाज़त ले
और क्या चाहिए बता मुझ से
मुस्कुराना मज़ीद है मुश्किल
हो लतीफ़ा तो बांँटना मुझ से
अब 'शुभम' जाल में नहीं आना
इश्क़ आज़ाद हो गया मुझ से
Read Full