भले ही देर से तुम से किया इज़हार शहज़ादी
मगर बचपन से करते हैं तुम्हीं से प्यार शहज़ादी
कहानी में कहानीकार ने सौ रंग डाले हैं
मगर इसमें है सबसे क़ीमती किरदार शहज़ादी
नहीं आता तुम्हारा अब कोई मैसेज कि कैसे हो
कहाँ इतनी बिज़ी रहने लगी हो यार शहज़ादी
कभी जब तंग आ जाऊँ जहाँ की नौकरी से तो
मेरे दफ़्तर का बन जाना कोई इतवार शहज़ादी
बना कर तुमको इतराया ख़ुदा अपनी ख़ुदाई पर
कहा उसने बड़ी दिलकश हुई तय्यार शहज़ादी
मेरी तस्वीर को तुम चूमती हो बे-ख़याली में
नज़र आने लगे हैं इश्क़ के आसार शहज़ादी
तेरी साँसो की लय में जब तलक शामिल मेरी लय है
तुम्हारा कौन हो सकता है दावेदार शहज़ादी
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