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कैसे कह दूँ तनहाँ हूँ वो अब तक मुझे रुलाती है  - Aryan Goswami

कैसे कह दूँ तनहाँ हूँ वो अब तक मुझे रुलाती है
आँखो में आँसू भरकर वो आठो पहर बुलाती है

सदीयों पहले छोड़ चुका हूँ दामन फिर भी जाने क्यूँ
मेरे चादर से अब तक उस शख़्स की ख़ुशबू आती है

पहले पहल तो मेरी हर एक बातें काटा करती थीं
अब जो मैं दो चार भी बोलूँ सारी मानी जाती हैं

दुश्मन नही दोस्त से डरना आने वाली दुनिया में
खाने के उद्देस्या से ही तो बकरी पाली जाती है

पानी जैसे काट रहा है पत्थर को आहिस्ता से
शेरों की बारीकी भी कुछ ऐसे जानी जाती है

- Aryan Goswami

Tanhai Shayari

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