तिरे दिल की हक़ीक़त जानता हूँ
तिरी सारी शराफ़त जानता हूँ
मुझे अपनी हिमाक़त पर गुमाँ है
तिरे सदके की क़ीमत जानता हूँ
तिरी हर इक तमन्ना ताक पर है
तिरे नख़रे की आदत जानता हूँ
मुझे मिल कर न तेरा मुस्कुराना
हैं तेरी ये सलादत जानता हूँ
मेरे ही वास्ते आया है मुझ तक
है मेरी ये सआदत जानता हूँ
As you were reading Shayari by Chetan Sharma 'Mizaz'
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