क्या कहा उनके बिन मैं अच्छा रहूँगा
जी नहीं मैं बिल्कुल अधूरा रहूँगा
वो अगर बन जाए मिरे दिल के श्री कृष्ण
उम्र भर बन मैं उनकी राधा रहूँगा
चाँद चाहे लाखों मिरी झोली में हो
पर मैं तो बस उनका दिवाना रहूँगा
वो जुदा जो हो जाएँगे मुझ से तो मैं
प्यासे तर्ज़-ए-सहरा तड़पता रहूँगा
इक दफ़ा ख़्वाहिश बतला देना मुझे बस
रात दिन उसको पूरा करता रहूँगा
अपना मुस्तक़बिल मानता हूँ तिरे साथ
तेरे बिन जैसे ख़ुद को खोता रहूँगा
थाम ले मेरा हाथ तू, सबके आगे
साथ, मैं सातो जन्म चलता रहूँगा
तुम अभी से चाहे मुझे आज़मा लो
अपने वादों का तो मैं पक्का रहूँगा
वक़्त इक होने में लगें हम को शायद
तेरे ख़ातिर ता उम्र बैठा रहूँगा
सौंप के ख़ुद को तू मुझे, कुछ भी कर ले
तू न डर, बन के तेरा साया रहूँगा
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