इश्क़ मुद्दा है हमारी जान का
ख़ून लेता है ये उस इंसान का
वो न जाने दे पकड़ता भी नहीं
क्या करूँ मैं उस हसीं शैतान का
साथ दे हर हाल में तू मेरा, फिर
नाप लूँगा, कद मैं हर तूफ़ान का
पूछता था मैं तुम्हें क्या क्या लिया
जाने वाले कहता तो अरमान का
है सुनाई देती बस बातें तिरी
अब बता मैं क्या करूँ इस कान का
तेरे होने से है चेहरे पर हँसी
वर्ना सब क्या देखे इस वीरान का
दिल लगाने का हुनर मैंने दिया
क्या गज़ब बदला लिया एहसान का
सीने लगता तू कभी शायद मिरे
फिरता हूँ टुकड़े लिए अरमान का
पास रखना है ये ख़्वाहिश है मिरी
एक झुमका उस परी के कान का
इश्क़ सब कुछ लूट लेता है मगर
मैं मज़ा लेता हूँ इस नुक़सान का
क्या बचा है मुझ में रुख़सत से तिरी
नोचो चाहे जिस्म मुझ बेजान का
इश्क़ इक ही होता है ऐलान है
तर्क़ करता हूँ मैं इस ऐलान का
साथ माँ गौरी हैं, मेरी मौत पे
दृश्य देखेंगे सभी शमशान का
Read Full