लगी बद-दुआ किसकी किसने सज़ा दी
मोहब्बत में मैंने अना तक गँवा दी
करूँ मैं यहाँ अब शिकायत भी किस से
हुआ ख़ुद ही बर्बाद ख़ुद ही रज़ा दी
लिया हाथ में ख़त पढ़े हर्फ़ सारे
थी बातें वो झूठी सो सारी जला दी
बताना नहीं हाल मेरा किसी को
तसव्वुर में मैंने जवानी बिता दी
तरसता रहा उसकी क़ुर्बत को ताउम्र
मोहब्बत ने ज़ालिम फ़क़ीरी दिखा दी
सितम से है जिसके भरी मेरी ग़ज़लें
उसे छोड़ मैंने है सब को सुना दी
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