शौक़ से देखी क़यामत चार दिन की ज़िंदगी में - Janib Vishal

शौक़ से देखी क़यामत चार दिन की ज़िंदगी में
यानी बस झूठी मुहब्बत चार दिन की ज़िंदगी में

लोग गाली दे रहे हैं और गुर्बत रोज़ तानें
झेल ली हमने फ़ज़ीहत चार दिन की ज़िंदगी में

इश्क़ पैसा घर ज़रओज़ेवर कि गाड़ी नाम रुतबा
यार क्याक्या है ज़रूरत चार दिन की ज़िंदगी में

कामकाजी मसअले से जो मिले फ़ुर्सत कभी तो
कीजिए उसकी इबादत चार दिन की ज़िंदगी में

चार दिन तो थें कि रहना था गले मिलकर हमें पर
हम कि कर बैठें अदावत चार दिन की ज़िंदगी में

एक जानिब है कहानी फ़िल्म यानी झूठ ही झूठ
दूसरी जानिब हक़ीक़त चार दिन की ज़िंदगी में

- Janib Vishal
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