तेरी अजब है शान मिरी मादर-ए-वतन

  - Kumar Aryan

तेरी अजब है शान मिरी मादर-ए-वतन
क़ुर्बान तुझपे जान मिरी मादर-ए-वतन

जिसने तिरी ज़मीं को किया सब्ज़ा-ज़ार वो
भूखा है हर किसान मिरी मादर-ए-वतन

अब भेज बाग़बान कोई दूसरा यहाँ
बिखरा है गुलसितान मिरी मादर-ए-वतन

खादी के भेस में हैं कई भेड़िये यहाँ
हर पल है इम्तिहान मिरी मादर-ए-वतन

मेहमाँ नवाज़ियाँ भी यूँ मशकूक हो गईं
ज़ालिम है मेज़बान मिरी मादर-ए-वतन

  - Kumar Aryan

More by Kumar Aryan

As you were reading Shayari by Kumar Aryan

Similar Writers

our suggestion based on Kumar Aryan

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari