तेरी अजब है शान मिरी मादर-ए-वतन
क़ुर्बान तुझपे जान मिरी मादर-ए-वतन
जिसने तिरी ज़मीं को किया सब्ज़ा-ज़ार वो
भूखा है हर किसान मिरी मादर-ए-वतन
अब भेज बाग़बान कोई दूसरा यहाँ
बिखरा है गुलसितान मिरी मादर-ए-वतन
खादी के भेस में हैं कई भेड़िये यहाँ
हर पल है इम्तिहान मिरी मादर-ए-वतन
मेहमाँ नवाज़ियाँ भी यूँ मशकूक हो गईं
ज़ालिम है मेज़बान मिरी मादर-ए-वतन
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