न कोई हूर से मतलब न अप्सराओं से

  - Jaymin Joshi Mauj

न कोई हूर से मतलब न अप्सराओं से
मिरा सुख़न मिरी निस्बत ज़मीनवालों से

है एक शक़्ल भली बीस-तीस चेहरों से
बुराई आपकी अच्छी है अच्छे अच्छों से

मुझे भटकना मुयस्सर करें मेरे मौला
शदीद ऊब चुका हूँ ,मैं सीधे रस्तों से

मैं रोज़ देखता हूँ फ़ोन ,बारहा अपना
न उसका कॉल न मेसिज कई महीनों से

बड़े जतन से कोई फूल , फूल होता है
गुज़रना पड़ता है कितने ही इम्तिहानों से

नदी गुमान में अपना वजूद खो बैठी
मुहब्बतों का सबक़ ले न पाई ‘मौजों ’ से

  - Jaymin Joshi Mauj

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