जब उसकी तस्वीर बनाया करते थे
हम फूलों का रंग चुराया करते थे
जब भी वो मिलने को बुलाया करता था
बुद्धी घर पे छोड़ के जाया करते थे
वो दिन जब वो पास हमारे होता था
चाॅंद सितारे यूँ ठुकराया करते थे
वो हम को बस बातों से बहलाती थी
और हम मीर कबीर सुनाया करते थे
बाक़ी बच्चे युद्ध के चैप्टर पढ़ते थे
हम ख़ुशबू के दरख़्त उगाया करते थे
वो हम को ए बी सी डी समझाती थी
हम भी उसको इश्क़ पढ़ाया करते थे
दो-पहरी स्कूल से लौटा करते थे
क़िस्से जेब में भरकर लाया करते थे
शाम ढले फिर माॅं को साथ बिठाकर हम
उन क़िस्सों से फ़िल्म बनाया करते थे
कई दिनों तक दुनिया सुन्दर लगती थी
जिस दिन उस से हाथ मिलाया करते थे
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