आँखों से ग़म के इस दफ़ा आँसू निकालना

  - Milan Gautam

आँखों से ग़म के इस दफ़ा आँसू निकालना
तुम इश्क़ में से हिज्र के पहलू निकालना

कोठे पे जाना गर तो मिरे दोस्त इसलिए
औरत के दोनों पैरों से घुँघरू निकालना

जो लोग याँ पे धर्म का ठेका लिए हैं ना
उनमें से इक भी शाज़ है साधू निकालना

उससे वफ़ा निभाने का कहना है यूँ कि जूँ
सूरज के आगे से कोई जुगनू निकालना

उल्फ़त के छल में फाँस लो और धोका दे दो बस
आसाँ है लड़कों में से पढ़ाकू निकालना

गीता पढ़ो तो इसलिए क़ुरआन इसलिए
इंसानों में से मुस्लिम-ओ-हिन्दू निकालना

दिल दे दिया गर उसको तो मुमकिन नहीं है फिर
उसके क़फ़स से प्राण-पखेरू निकालना

जबरन निकालना उसे दिल से मिरे मिलन
ऐसे है जैसे फूल से ख़ुशबू निकालना

  - Milan Gautam

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