होंट उस के रसीले रसीले
ताब-ए-रुख़्सार है मय की मीने
सुरमई सुरमई उफ़ वो गेसू
कजरवी कजरवी वो इशारे
आँख उस की नशीली नशीली
बोल उस के सुरीले सुरीले
उस के लहजे की लज़्ज़त न पूछो
फीकी है चाशनी उस के आगे
उस की बर्क़-ए-नज़र अल्लाह-अल्लाह
मार देगी मुझे दिन-दहाड़े
मय-कदे भी अगर होए मम्नू
तो कहाँ जाएँगे ग़म के मारे
सादगी तो मिरी देख ज़ालिम
कर दिया दिल तुम्हारे हवाले
दुनिया इतनी बुरी है क्या 'ज़ामी'
क्यूँ नहीं आते हैं जाने वाले
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