प्यास सी ज़िंदगी में वो जल है मिरी
ज़िंदगी की रियाज़त का फल है मिरी
जब से आई है वो ज़िंदगी में मिरे
ज़िंदगी तब से कितनी सरल है मिरी
जिसके दीदार से दिन महक जाता है
ज़िंदगी का हाँ वो इक कँवल है मिरी
बस उसे देखकर मुस्कुराता हूँ मैं
एक लड़की उदासी का हल है मिरी
अपने होंठों से उसने ग़ज़ल छू लिया
यानी अब शाइरी भी सफल है मिरी
चाह कर भी उसे भूल सकता नहीं
वो मुहब्बत है जो ला-यज़ल है मिरी
बस उसे गुनगुनाता रहूँ मैं 'अमन'
उसका शाइर हूँ मैं वो ग़ज़ल है मिरी
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