बुत-खानों में क्यों सब पैसे लेके खड़े हुए हैं
भगवानों के घर तो पहले से ही भरे हुए हैं
महलों के बाशिंदों ने कब बाहर ये देखा है
बस्ती की पगडण्डी पर कितने आदम पड़े हुए हैं
जिन जिन लोगों ने शिरकत की है मेरी मय्यत में
देखोगे तो जानोगे सब बन्दे मरे हुए हैं
जब भी मारो तो मारो सुनसान जगह पर मुझको
सुन लेंगे कान यहाँ जो दीवारों के लगे हुए हैं
जिन लोगों ने इश्क़ किया उन लोगों का कहना है
जिन लोगो ने नहीं किया अच्छे हैं बचे हुए हैं
दुश्मन पर जब वार करो थोड़ा रुक कर देखो तुम
दुश्मन जोशीले हैं या फ़िर हारे थके हुए हैं
जालिम शहजादे ने उन लोगों को ही छोड़ा है
जिन जिन लोगों के चेहरे या कंधे झुके हुए हैं
हम दरवेशों को इतना हल्का भी मत समझें आप
नहीं उठाते वो पैसे जो नीचे गिरे हुए हैं
इक औरत दरवाजे पर नज़र जमाए बैठी है
शायद उस औरत के बेटे बाहर गए हुए हैं
Read Full