ऊपरवाले ने बस पैकर बदले होते हैं
दिल गुर्दे तो सबके एक ही जैसे होते हैं
कंगन दो या झुमके उसने खुश हो जाना है
उसको तो बस मुझसे तोहफ़े लेने होते हैं
लकीर है पत्थर की उसका कहा मेरी ख़ातिर दोस्त
हाँ ये सच है दिन में बीस ही घण्टे होते हैं
शादी से पहले बच्चों के नाम भी सोच लिए
भूल गए शादी के बाद में बच्चे होते हैं
मेरी प्रेम कहानी सबको झूठी लगती है
सबकी मानो तो ये फिल्मी क़िस्से होते हैं
मुझको उदासी में पाकर हैरानी में क्यों हो
पतझड़ के मौसम में पेड़ तो सूखे होते हैं
है दुश्मन पत्थर फिर भी शीशे से इश्क़ जिन्हें
ये इन लोगों के घर किस शीशे के होते हैं
नींद उड़ा दी माँ की बेटे की नाकामी ने
सबके घर में अब रस्सी और पंखे होते हैं
घुट घुट कर जीने वालों का हश्र ये होता है
रेल के नीचे या फ़िर पेड़ से लटके होते हैं
सहराओं में कौन तुझे पानी देगा 'साहिर'
सहराओं में तो पंछी भी प्यासे होते हैं
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