तेरा आना याद है फिर छोड़ जाना याद है
वो मेरा रो रो के सारा दिन बिताना याद है
हाँ मुझे बेहद लुभाती थी वो तेरी सादगी
देखकर मुझको तेरा नज़रें झुकाना याद है
चाहता हूँ मैं उसे इतना कि जिसकी हद नहीं
और क्या हो उसकी माँ को माँ बुलाना याद है
वो अगर तुमसे मिले तो पूछ लेना इक दफ़ा
क्या उसे भी आज तक अपना दिवाना याद है
मैं जो कहता था सुनो हम आपसे नाराज़ हैं
आपका बाहों में भरके वो मनाना याद है
ज़िंदगी में आई वो जैसे मेरी तक़दीर हो
और उसी तक़दीर से फिर चोट ख़ाना याद है
एक होना चाहते तो साथ होते आज भी
तेरा मुझको मेरा तुझको हर ठिकाना याद है
खींचती थी हाथ मेरा तुम दुपट्टे की तरह
आज तक वो इश्क़ का मौसम सुहाना याद है
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