ग़म-ए-फ़िराक़ में वो ऐसे ग़मज़दा होगा
कभी वो रूख को कभी सर को पीटता होगा
भला करेगा किसी का तेरा भला होगा
बुरा करेगा अगर तू तेरा बुरा होगा
मुझे यकीन हैं अपनी हसीन आँखों में
हर एक शब वो मेरे ख़्वाब देखता होगा
लब उसके तितलियाँ कसरत से चूमती होंगी
वो मेरा नाम अगर मुँह से बोलता होगा
मैं जैसे सोचता रहता हूँ उसके बारे में
वो मेरे बारे में ऐसा ही सोचता होगा
सुकून-ए-क़ल्ब की ख़ातिर वो हिज्र का मारा
दीया बुझा के अँधेरे में बैठता होगा
सुलगता होगा गुलिस्ताँ में क़ल्ब ख़ारों का
जब आ के भँवरा कोई गुल को चूमता होगा
मरीज़-ए-इश्क़ की ख़ातिर भटक के सहरा में
दवा वो मर्ज़ की बरसों से ढूंढता होगा
लिबास-ए-ख़ाक किए ज़ेब-ए-तन वो सदियों से
अभी भी दश्त-ए-जुनूँ में हाँ रो रहा होगा
मेरे शजर का बता क्या कोई ख़त आया है
वो रस्ता रोक के क़ासिद से पूछता होगा
हमें यकीं हैं ये गुलशन में फूल के लब पे
हमारा नाम शजर देखना सजा होगा
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