उधर नवाबों को नंगा होना है - komal selacoti

उधर नवाबों को नंगा होना है
इधर ग़रीबों को नंगा होना है

आईना-दर-आईना है हक़ीक़त
यानी ख़्वाबों को नंगा होना है

आज सुना है उधर हुजूम रहेगा
जिधर ग़रीबों को नंगा होना है

तेरी हाँ न के चक्कर में जान-ए-जाँ
कई गुलाबों को नंगा होना है

सूरत-ए-क़ातिल की इक दीद के ख़ातिर
सभी नक़ाबों को नंगा होना है

ढूँड रहा हूँ पन्नों पे तेरा नाम
आज किताबों को नंगा होना है

- komal selacoti
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