बाइस-ए-क़ुर्बत से मेरी ऐसा न लगे
मेरे आगे तेरा ग़म बौना न लगे
जन्मों से मैं महरूम हूँ इनायत से
क़तरा क़तरा भी कहीं अब ज़्यादा न लगे
मरना है इस सलीक़े से उस चौखट पे
कि मुद्दतों तक उससे दरवाज़ा न लगे
मैं इसलिए भी आगे बड़ जाऊँगा अब
पीछे चलने से पीछा करना न लगे
अब के मेरी मुस्कान यूँ बना नक़्क़ाश
मैं भी झूठा और तू भी सच्चा न लगे
मै चालें जानूँ हूँ उस जल्लाद की बस
पीछे से मेरा नंबर पहला न लगे
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