ये दिल्लगी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
ये काम भी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
हमने बड़ी मुश्किल से सीखा नाम जिसका ज़िंदगी
वो ज़िंदगी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
किसने हँसाया था कभी किसने रुलाया है अभी
ये ध्यान भी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
हम हार के भी चल दिए हैं राह पे ये ही बहुत
रस्ता सही अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
हम भी हँसे थे जानकर तुम भी हँसो ये जानकर
हमको ख़ुशी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
इक उम्र तक घर में रहे इक उम्र में बाहर गए
घर में घड़ी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
अपने सिरहाने इक ज़माने से पड़ा है टूटा दिल
सच-मुच परी अब हो न हो क्या फ़र्क पड़ना है हमें
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