शहर-ए-जानाँ में बरसात नशे में होगी
सुब्ह तलक अपनी बारात नशे में होगी
हमको न छेड़ सर-ए-महफ़िल में यूँ ख़ुश-गुफ़्तार
हम अहल-ए-दिल से बस बात नशे में होगी
मेरे ख़ातिर काँसे पे तू मय भर लाया
तू ने जब जाना ख़ैरात नशे में होगी
ग़म को पीकर हम शब भर नश्शे में होंगे
हम को पीकर दिन भर रात नशे में होगी
तोड़ा बहुत तो सींचा था गुल-ए-जाँ को मैने
बंदा-ए-ख़ाक हूँ औक़ात नशे में होगी
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