तेरे अंदर ये झिझक कैसी है तूने सोचा क्या है
मेरा अपना है तू लग जा अब गले से झुकता क्या है
जब भी देखूँ तुझको चेहरा तू छुपा लेती है अपना
गर मोहब्बत है तुझे तो कर छुपाती चेहरा क्या है
खींचूँ जो अपनी तरफ़ लग जा तू फिर सीने से मेरे
ये हया कैसी है ये महबूब से शर्माना क्या है
सुन लिया दिल ने मेरे वो तेरे दिल का जो सबब था
अब हमारे इन लबों से और सुनाना सुनना क्या है
ज़िन्दगी ये मौत की क़ुर्बत में यूँ क़ुर्बान है अब
होश में हो इश्क़ में अब जिस्म का ये सौदा क्या है
दरमियाँ दिल के कोई और फ़ासला ही नइँ बचा तो
झगड़ा क्यों करना हमारे बीच में ये इख़्फ़ा क्या है
मैं सफ़र में एक भटका सा मुसाफ़िर हूँ यहाँ पर
मुझको बस ये देखना है साथ मेरे होता क्या है
Read Full