ग़ज़ल की रूह तो उसकी रवानी है
मियाँ ये बात जल्दी सीख जानी है
तुम्हारी जैसी ही मेरी कहानी है
बस ऐसे ही गुज़ारी ये जवानी है
कल उसको देखा है मैंने किसी के साथ
तू तो कहता था लड़की ख़ानदानी है
वफ़ा तुम तो न कर पाई मगर ये चीज़
तुम्हें बेटी को अच्छे से सिखानी है
मैं भी पागल था सच में कितना पागल था
मैं समझा था मोहब्बत जावेदानी है
तेरे कहने पे उतरा था समंदर में
तुझे ही लाश मेरी अब डुबानी है
As you were reading Shayari by Yuvraj Singh Faujdar
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