खार से गुल, गुलों से हार बनाने वाले
अब कहाँ हैं अदू को यार बनाने वाले
जाइकेदार गिज़ा हमको खिलाते है मगर
भूखे रह जाते है इफ्तार बनाने वाले
मुद्दतों बाद नज़र आई थी उम्मीद ए सुलह
और फिर आ गए दीवार बनाने वाले
मैंने इक फूल बढ़ाया था फकत उनकी तरफ
रो पड़े थे सभी तलवार बनाने वाले
यूँ तो मैय्यत मे मेरी खूब ही रोये थे वो
पर वही थे मुझे बीमाऱ बनाने वाले
ज़ुल्म करते हैं वो जुल्मी है खबर है लेकिन
वो हमी थे उन्हें सरदार बनाने वाले
देख कर बुज़दिली,मक्कारी यहाँ लोगों की
मर गए जंग को यलगार बनाने वाले
ज़लजले में तो दुकाँदार ही होते है तबाह
बाद मे आते हैं बाजार बनाने वाले
तख्त हर दौर मे हकदार बदल लेता है
भूल बैठे हैं ये सरकार बनाने वाले
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