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अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का  - Abhishek shukla

अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का
क़रीब आए तो देखेंगे हौसला शब का

चली तो आई थी कुछ दूर साथ साथ मिरे
फिर इस के बाद ख़ुदा जाने क्या हुआ शब का

मिरे ख़याल के वहशत-कदे में आते ही
जुनूँ की नोक से फूटा है आबला शब का

सहर की पहली किरन ने उसे बिखेर दिया
मुझे समेटने आया था जब ख़ुदा शब का

ज़मीं पे आ के सितारों ने ये कहा मुझ से
तिरे क़रीब से गुज़रा है क़ाफ़िला शब का

सहर का लम्स मिरी ज़िंदगी बढ़ा देता
मगर गराँ था बहुत मुझ पे काटना शब का

कभी कभी तो ये वहशत भी हम पे गुज़री है
कि दिल के साथ ही देखा है डूबना शब का

चटख़ उठी है रग-ए-जाँ तो ये ख़याल आया
किसी की याद से जुड़ता है सिलसिला शब का

- Abhishek shukla

Safar Shayari

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