ये जहाँ हिर्स का बाज़ार नज़र आता है
हर कोई तन का ख़रीदार नज़र आता है
इन निगाहों को जो दिलदार नज़र आता है
मिरे अश्कों का ख़रीदार नज़र आता है
चल मुझे तू ही बता कैसे करूँ तुझ पे यक़ीं
तिरी बातों में पलटवार नज़र आता है
कौन कहता है मोहब्बत है मज़ा जुर्म नहीं
मुझे हर शख़्स गुनहगार नज़र आता है
इश्क़ जब से हुआ स्कूल नहीं जाता हूँ
अब मुझे रोज़ ही इतवार नज़र आता है
नहीं चलता है पता कैसे बदलता है रंग
तू मोहब्बत में कलाकार नज़र आता है
कि बरतने से ही खुलती है हक़ीक़त सबकी
वरना हर शख़्स वफ़ादार नज़र आता है
वही इल्ज़ाम लगाती हैं नकलची है तू
जिन निगाहों को अदाकार नज़र आता है
वो मुझे शाम-ओ-सहर घूरती ही रहती हैं
जिन निगाहों में मुझे प्यार नज़र आता है
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