हमीं करते थे दिन रौशन तुम्हारा
हमीं से भर गया अब मन तुम्हारा
उदासी आ लगे मेरे गले से
हो खुशियों से भरा दामन तुम्हारा
नहीं जाती तुम्हारी ख़ुशबू याँ से
है मेरे पास पैराहन तुम्हारा
किसी ने पूछा था हमसे ख़ुदा है?
ज़ुबां पे नाम था रस्मन तुम्हारा
दिलों को तोड़ना तुम जानते हो
यही तो है मेरी जाँ फ़न तुम्हारा
हैं सीता की तरह हम घर से निकले
तो यानी राम सा था मन तुम्हारा
उसी आंगन के टुकड़े कर रहे हो
जहां खेला कभी बचपन तुम्हारा
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