तो न आया असर उस की इबादत में
हार के रो रहा है वो मुहब्बत में
हो गईं सच सभी बातें कहावत की
छोड़ के सब चले जाते हैं गु़र्बत में
याद आते नहीं हो तुम कभी हम को
बस यही याद अब करते हैं फु़र्क़त में
बात ये इक दिल-ए-नादाँ समझ ले तू
इश्क़ रहता नहीं है सब की क़िस्मत में
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