हम हुए हैं फिर से तन्हा वो फ़रिश्ता खो गया है
दाग़ हम में भर गए हैं ज़िन्दगी से वो गया है
आसरा था वो हमारी ज़िन्दगी को साज़ देंगे
डर रहा नाराज़ है वो आसरा अब खो गया है
इक भरोसा मिल रहा था कुछ मुलाक़ातों में उन से
चंद लम्हे सब्ज़ देकर मेहरबाँ वो खो गया है
अन-कही ही रह गई थी बात कुछ जो ख़ास थी वो
बिन सुने ठुकरा दिया सच अजनबी सा हो गया है
कुछ शिकायत कर ही लेते छोड़ना था राह में जब
फ़ैसला ख़ुद ले लिया है वो ख़फ़ा बस हो गया है
देवता लगता था हम को वो सहारा लग रहा था
जब जुदा हम से हुआ बेज़ार सब कुछ हो गया है
हम फ़रिश्ते से कहें क्या तोड़ दुनिया ने दिया है
ख़त्म बे-फ़िक्री हुई सब दर्द-अफ़्ज़ा हो गया है
एतिबार-ए-जाँ हमें था वो निगाहें थीं अलग ही
अब शिकस्त-ए-दिल वही बे-मेहर वो क्यों हो गया है
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