बिछड़ कर इश्क़ में उस से यही महसूस करता हूँ
मेरी क़िस्मत की थी सारी कमी महसूस करता हूँ
बिछड़ने वाला तो कब का गया मुझसे बिछड़ कर दूर
मगर मैं अब भी उसको पास ही महसूस करता हूँ
ज़माने में हैं इक से इक सनम बिछड़े हुए लेकिन
थी और है बेवफ़ा तू आज भी महसूस करता हूँ
भले लब सिल के बैठें आप लेकिन साफ़ ज़ाहिर है
जो कहना चाहती है ख़ामुशी महसूस करता हूँ
मेरे अश्कों से पड़ जाती हैं आँखों में मेरी ठंडक
वुफ़ूर-ए-ग़म में भी अक्सर ख़ुशी महसूस करता हूँ
न लूँ दो कश मेरा दो गाम फिर चलना भी मुश्किल है
हों सिगरेट गर मुयस्सर ताज़गी महसूस करता हूँ
चराग़-ए-ज़ीस्त बुझने वाला है शायद तब ही तो मैं
अभी से घर मे आती तीरगी महसूस करता हूँ
ज़माने के सितम मेरा बिगाड़ेंगे भी क्या आख़िर
क़ज़ा की गोद मे जब ज़िंदगी महसूस करता हूँ
समुंदर पी रहा है तू अज़ल से कितनी नदियों को
मैं साहिल हूँ तिरी तिश्ना-लबी महसूस करता हूँ
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