तुम बताओ क्या करें हम शाइरी - ABHISHEK RANJAN

तुम बताओ क्या करें हम शाइरी
ज़िंदगी की आख़िरी ग़म शाइरी

मंज़िलों के पास आते रह गए
आज देखो कैसा है ख़म शाइरी

था मेरा अपना जो कोई अब नहीं
राह में कोई थी शबनम शाइरी

ख़्वाब के बिस्तर पे बैठे थे मगर
बन गई देखो ये मरहम शाइरी

ऐन मौक़े पर ग़ज़ल ठुकरा ही दी
क्यों बनाई मैंने अक़्दम शाइरी

- ABHISHEK RANJAN
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