मेरे दम से वो जीते हैं मगर हमदम नहीं होते
वो दिल के ज़ख्म होते हैं मगर मरहम नहीं होते
बुरा क्या है अगर उसका कोई आसूँ न निकला तो
वो पैदाइश है उस घर की जहाँ मातम नहीं होते
यहाँ पर बात आई है हमारे कुछ उसूलों की
उसे बदनाम जो करते तो हम भी हम नहीं होते
अब आलम है यही तो इसपे कोई बात क्या करना
कुछ ऐसा वैसा क्या करते जो ये आलम नहीं होते
मज़ा तो सामने से अजनबी होने पे आता है
जो छुप जाते हैं सबसे वो छुपे रुस्तम नहीं होते
यहाँ माँ बाप भी बहनों के हिस्से में नहीं आते
रिवायत का यही कहना है उनके ग़म नहीं होते
ग़मों से दूर होना तो बग़ावत है ख़ुदाई से
जो कहते हैं कि ख़ुश हैं हम वो झूठे कम नहीं होते
किसी को घर बदलना हो तो कैसा दोष मौसम का
बुरे तो लोग होते हैं बुरे मौसम नहीं होते
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