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जो ख़ुद उदास हो वो क्या ख़ुशी लुटाएगा  - Krishna Kumar Naaz

जो ख़ुद उदास हो वो क्या ख़ुशी लुटाएगा
बुझे दिये से दिया किस तरह जलाएगा

कमान ख़ुश है कि तीर उस का कामयाब रहा
मलाल भी है कि अब लौट के न आएगा

वो बंद कमरे के गमले का फूल है यारो
वो मौसमों का भला हाल क्या बताएगा

मैं जानता हूँ तिरे बा'द मेरी आँखों में
बहुत दिनों तिरा एहसास झिलमिलाएगा

तुम उस को अपना समझ तो रहे हो 'नाज़' मगर
भरम भरम है किसी रोज़ टूट जाएगा

- Krishna Kumar Naaz

Phool Shayari

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