बे-ख़बर हैं आलम-ए-जज़्बात से

  - Ankur Mishra

बे-ख़बर हैं आलम-ए-जज़्बात से
लड़ रहा है हाथ अपने हाथ से

किस तरह रक्खूँ किसी से फ़ासला
हैं सभी किरदार ज़िंदा बात से

इसलिए करता नहीं वादा कोई
हो न जाए राब्ता हालात से

  - Ankur Mishra

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