रंग जो इस हयात का होगा
चेहरा मेरी वो ज़ात का होगा
आसमाँ को यूँ तकने वाले सुन
चाँद तो बस ये रात का होगा
तोड़ दे आइना तिरे घर का
फिर असर तेरी बात का होगा
इन लकीरों में वो नहीं तो क्या
हिस्सा ज़ख़्म-ए-हयात का होगा
माना गहरी है रात ये लेकिन
सब्र ये मेरी ज़ात का होगा
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