मुझे देखो मुझे फिर देखकर तलवार को देखो
मिरे लहजे में कितनी धार है उस धार को देखो
लड़ो दुनिया से दुनिया के लिए दुनिया में रहकर ही
मगर पहले ज़रा अपने ही इस घर-बार को देखो
ज़रा देखो मिरी आँखों में इक बीमार की आँखें
इन्हीं आँखों में घर करते हुए संसार को देखो
मिरे लहजे में देखो किस क़दर गर्मी है नर्मी है
फिर अपने देखने के तौर से आसार को देखो
यूँ इनके देखने में कुछ न कुछ बेहूदगी सी है
लिए फिरते हैं आँखों में किसी हथियार को देखो
निभाए जा रहे रिश्ते यहाँ कुछ ख़ास मतलब से
यहाँ हर आदमी के भीतरी बाज़ार को देखो
नहीं आराम जो आए तुम्हें अपने मुक़द्दर से
किसी बीमार को बेकार को बेज़ार को देखो
ज़रा देखो है कितनी गन्दगी इन्सान में आख़िर
है इसका दूसरा पहलू भी उस किरदार को देखो
कभी उसको भी देखो जिसके सर साया नहीं कोई
बिना छत के अकेली है खड़ी दीवार को देखो
कहो क्या हो गया जो मिल न पाए यार से अपने
निहारो चाँद को फिर यार के घर द्वार को देखो
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