सलोने श्याम की बंशी सुनी तो आ गया हूँ मैं
कन्हैया आपको देखा है तब से बावरा हूँ मैं
हजारों रानियाँ पटरानियाँ घेरे तुझे घर में
मुझे तू ढूँढ़ता क्यों है बता क्या राधिका हूँ मैं
सलोना साँवरा मेरा मदनमोहन हठीला है
वो मेरा सिर्फ़ मेरा ही है सो इठला रहा हूँ मैं
सभी ने देह से कान्हा पकड़ रक्खा भले होगा
मगर वो मन से मेरा है उसी की आत्मा हूँ मैं
सुनो सबको बताता हूँ सुदामा नाम है मेरा
कन्हैया चेतना मेरी उजाला श्याम का हूँ मैं
पढ़े हम साथ संदीपनि महागुरुवर हमारे हैं
चुराकर कृष्ण के हक़ का चबेना तक चबा हूँ मैं
सुदर्शन चक्र धारी प्रभु मेरे कर्मों के दृष्टा हैं
उन्हीं बृजराज गिरिधर श्याम का ही प्रिय सखा हूँ मैं
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