इन लबों पे हँसी नहीं होती - Harpreet Kaur

इन लबों पे हँसी नहीं होती
हँसती आँखें ख़ुशी नहीं होती

ग़म भुलाने को मयक़दे हैं बहुत
मुझसे ये मय-क़शी नहीं होती

ले के दिल बैठे कितने राहों में
बेबसी आशिक़ी नहीं होती

हारते जो न है कभी ख़ुद से
मौक़े की फिर कमी नहीं होती

'प्रीत' ये ज़िन्दगी समंदर है
कोई अब तिश्नगी नहीं होती

- Harpreet Kaur
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