मुझे हर कोई अब गर्दिश-ज़दा तारा बताता है

  - Harpreet Kaur

मुझे हर कोई अब गर्दिश-ज़दा तारा बताता है
बिगड़ते से हुए हालात का मारा बताता है

रहे औरत ही पिसती ज़िंदगी की चक्की में यूँ तो
ज़माना फिर भी इन मर्दों को बेचारा बताता है

मिले जैसी भी चेहरे वाली बेग़म जो यहाँ ग़ालिब
उसे शौहर हमेशा हुस्न का तारा बताता है

नुमाइंदा सी कहनी जो ग़ज़ल वो चाहते हैं फिर
छिपा मिसरों को उल्फ़त में वो अब यारा बताता है

हुई मशहूर है जो प्रीत की ये नेक नामी फिर
यहाँ हर कोई मुझको रब का ही प्यारा बताता है

  - Harpreet Kaur

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