कहे ये लोग फूलों से महकते घर में रहता है

  - Harpreet Kaur

कहे ये लोग फूलों से महकते घर में रहता है
कहीं काँटा न चुभ जाए कोई इस डर में रहता है

यूँ तो मशहूर सारे शहर में है मुफ़लिसी उसकी
न जाने कोई ये वो चाहतों की ज़र में रहता है

रखें जो नेक नीयत रूह में पाक़ीज़गी होती
बशर वो तो ख़ुदा के बख़्शे उस पैकर में रहता है

सुकूँ पाने को है आराम और अहबाब सारे ही
मगर अब तो मज़ा असली दम-ए ख़ंजर में रहता है

बहाना भर सफ़र ये ज़िन्दगी का 'प्रीत' है कहती
फ़क़त हर इक यहाँ मंज़िल के ही चक्कर में रहता है

  - Harpreet Kaur

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